करदाताओं के लिए आयकर विभाग से अपनी खरीद-फरोख्त छिपाना अब आसान नहीं होगा। आयकर विभाग ने इस वर्ष फॉर्म 26-AS का नया वर्जन लागू कर दिया है। इस फॉर्म में करदाताओं की तरफ से 50,000 से अधिक रुपये के सभी प्रकार की लेनदेन, निवेश एवं खरीद-बिक्री की जानकारी होगी।

बैंक में जमा की गई राशि से लेकर शेयर बाजार में लगाई गई रकम का पूरा ब्योरा इस फॉर्म में होगा। किसी भी प्रकार के वित्तीय वाद की भी जानकारी इस फॉर्म में देनी होगी। हर तीन महीने पर फॉर्म 26-AS प्राप्त जानकारी के आधार पर अपडेट होता रहेगा। इस फॉर्म में करदाताओं के मोबाइल नंबर, आधार नंबर और ई-मेल आईडी भी होंगे।

टैक्स विशेषज्ञों के मुताबिक फिलहाल फॉर्म 26-AS में करदाताओं के टीडीएस, टीसीएस व टैक्स के स्व मूल्यांकन की ही जानकारी होती है। सभी करदाताओं का फॉर्म 26-AS होता है जिसके आधार पर ही टैक्स रिफंड या टैक्स देनदारी की जानकारी मिलती है।

टैक्स विशेषज्ञों ने बताया कि नए 26-एएस फॉर्म की अधिसूचना के तहत इनकम टैक्स के वरिष्ठ अधिकारी को करदाताओं के इस फॉर्म को खोलने का अधिकार दिया गया है। अगर करदाताओं पर वस्तु व सेवा कर संबंधी कोई बकाया है या किसी अन्य प्रकार का टैक्स विवाद चल रहा है तो इसकी जानकारी करदाताओं के फॉर्म 26-AS में भर दी जाएगी।

इस फॉर्म में करदाताओं के कारोबार के टर्नओवर जैसी जानकारी भी शामिल होगी। अगर करदाताओं में कोई निर्यात किया या आयात किया है तो फॉर्म से यह पता चल जाएगा कि वह किस वस्तु का आयात या निर्यात करता है और उसका कारोबार कितने का है।

टैक्स विशेषज्ञों के मुताबिक नए फॉर्म 26-एएस में नोटबंदी के दौरान बैंक में जमा की गई राशि की जानकारी भी दी जाएगी। अगर करदाता ने नौ नवंबर, 2016 से लेकर 30 दिसंबर, 2016 के बीच करंट एकाउंट से इतर किसी एकाउंट में 2.5 लाख रुपये से अधिक नकदी जमा कराई है तो यह जानकारी नए फॉर्म में दी जाएगी।